6. सरल संधि (Plain Joint)-इसके पृष्ठ इस प्रकार ढले होते हैं और स्नायु इत्यादि की स्थिति ऐसी होती है कि अस्थियाँ इधर-उधर कुछ ही सरक सकती है, जैसे कशेरुका संधि।
2.
यह ठीक है कि संधि से भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को कुछ हद तक पूरा किया जा सकता था लेकिन उसकी कीमत यह चुकानी पड़ती है कि हमें आवश्यकतानुसार पोखरण-3 का स्वप्न भी छोड़ना पड़ता और सरल संधि के अन्तर्गत परमाणु ईंधन की आपूर्ति हेतु अमेरिकी राष्ट्रपति की स्वीकृति की प्रतीक्षा करनी पड़ती जो वस्तुत: एक स्वाभिमानी राष्ट्र के लिए अपमानजनक होती।